धन भूख प्यास की बाधाएं
काँटों से भरी मेरी राहें
तन पर कपडे नहीं लेशमात्र
एक एक कौड़ी को मोहताज
कुछ और नहीं कर सकता था
हड्डियां गला पेट भर सकता था |
कोई आस नहीं कुछ पास नहीं
खुशियों की मुझे तलाश नहीं
बस नर्क हो गए जीवन को
कैसे व्यर्थ ना जाने दूँ
उठ खड़ा हुआ उन काँटों पर
चल पड़ा गुलामी राहों पर |
बच्चों की याद सताएगी
बीवी का चाह बुलाएगी
पर पैसे चार कमाने है
खिलोने और साड़ी लाने है
मेरा जीवन हो चूका नर्क
बच्चों को बहुत पढ़ाऊंगा
मैं खून बेच कर आऊंगा
पर पैसे जरूर कमाऊंगा |
जब आया इन् गलियारों में
महलों की भव्य दीवारों में
पाया मैंने अपनों का खून
महलों में धंसी अपनों की गूँज
सबकी मेहनत का प्रतिफल था
उच्चे थे शिखर ऊंचा पुल था
लाखों का रुधिर प्रवाहित था
मैं तो एक मात्र सिपाही था |
अब पुल और सड़कें ही घर थे
पैसे थे कम हम कलुषित थे
राजा का दरबार सुशोभित था
हम नरक निवासी वर्जित थे
बस काम हुआ अब राह तको
पोटली उठा अब गाँव चलो
अस्तित्व नहीं अधिकार नहीं
जहाँ जाओ धिक्कार वहीं
परिवार के खातिर आया था
सिर पर गुलामी का साया था |
अब और सहन नहीं कर सकता
इससे ज्यादा नहीं मर सकता
मैं बिखर गया
मैं सिहर गया
कब तक ये जुर्म सहूंगा मैं
अपनों से दूर रहूँगा मैं
ये धरती है या नरक लोक
जीवन प्रतिपल भयभीन शोक
पर भूल गया में ये शायद
मैं तो एक प्रवासी हूँ
स्वतंत्र देश में दासी हूँ
वैभव की इच्छा पेट भूख
पैदा होते ही गया सूख
अधिकार हुए धूलि धूसर
घरवार है बस अपना अम्बर
जब देह छोड़ कर जाएंगे
सन्देशा जरूर पहुचायेंगे
प्रभु देना था तो नरक ही दो
धरती की वो सड़क मत दो
जो पेट काट कर बनायीं थी
जहाँ किस्मत भी सहमायी थी
वो कब्र बन गई है मेरी
व्यर्थ हुई जीवन फेरी
इन निर्दयी राजाओं के अट्टहास
करते हर क्षण मुझे बदहवास
एक ख्वाहिश पूर्ण करा देना
उनके स्वर्ग में छुपा नरक दिखा देना
कब तक ये जुर्म सहूंगा मैं
अपनों से दूर रहूँगा मैं
ये धरती है या नरक लोक
जीवन प्रतिपल भयभीन शोक
पर भूल गया में ये शायद
मैं तो एक प्रवासी हूँ
स्वतंत्र देश में दासी हूँ
वैभव की इच्छा पेट भूख
पैदा होते ही गया सूख
अधिकार हुए धूलि धूसर
घरवार है बस अपना अम्बर
जब देह छोड़ कर जाएंगे
सन्देशा जरूर पहुचायेंगे
प्रभु देना था तो नरक ही दो
धरती की वो सड़क मत दो
जो पेट काट कर बनायीं थी
जहाँ किस्मत भी सहमायी थी
वो कब्र बन गई है मेरी
व्यर्थ हुई जीवन फेरी
इन निर्दयी राजाओं के अट्टहास
करते हर क्षण मुझे बदहवास
एक ख्वाहिश पूर्ण करा देना
उनके स्वर्ग में छुपा नरक दिखा देना
जब बंद चक्षु को खोलेंगे
तब अहम् त्याग कर बोलेंगे
मुझे माफ़ करो मुझे माफ़ करो
में दंड पत्र अपराधी हूँ
तुम थे राजा में चपरासी हूँ |
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