Thursday, July 23, 2020

Q&A Poem

क्या कहें दिल लगता नहीं
सूनी दुनिया सूना है अम्बर
जिसके संग थे सफ़र पर
उसकी मिलती नहीं खवर

उत्तर:
सबका अपना सफर अकेला
धरती पर हैं सब मेहमान ,
जाना तो सबको ही होगा
एक ना एक दिन देवस्थान

प्रश्न:
फिर कैसे में खेलूं होली,
क्यूं जोडू दीपों की माल,
सब खुशियां लगती बेमानी,
चाहे हो यहां रंग हज़ार।

उत्तर:
यही अनूठी दुनिया है,
यही अनूठा अनुभव है,
मायाजाल के भ्रम को तोड़ो
दुनिया बनती निश्छल है।

हर कोई जूझ रहा है प्रतिक्षण,
अपने दुख संघर्षों से,
इस यात्रा में खो बैठे है,
मौके सारे  उत्सव के।

जीवन का आनंद उठाओ ,
खेल कूद, करो अन्तर्ध्यान
व्यस्त रखो अपने चित्त को,
उद्देश्य बनाकर मन में ठान।

दुनिया देखी कहां है अब तक,
देखो इसके है रंग हज़ार,
घूमो फिरो, मिलो लोगों से,
लग जाओ बस अपने काज ।

यही सार है इस जीवन,
इसका कोई झोर नहीं,
सफर यहां शुरू नहीं होता,
इस डगर का कोई अंत नहीं

बहुत से जीवन बाकी है अभी,
जो पास है ज़ी लो उसे कभी,
किसी समय और किसी काल में,
पुनः मिलेगी खबर सही।

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