बा द ल ह ट र हे हैं
आ स मा न दिखाई दे रहा है
दूर है
अनुशाशन की कमी है
रेगिस्तान में भाग रहा हूँ
धीरे हूँ
पसीना नहीं आ रहा
पागलपन खो रहा है
मेला लगा हुआ है
कुछ ना कुछ छूट रहा है
एक अधूरापन एक खालीपन
में कौन हूँ
क्या चाहता हूँ
इन्ही सवालों की जद्दोजहद में खोया हूँ
मैं एक ही जगह पर खड़ा होकर दौड़ रहा हुँ
यहाँ बिना खुशबू का गुलाब है
यहाँ बिना तेज की अग्नि है
शीतला ता रहित जल है
क्या में लालची हूँ या स्वार्थी या एक मोहरा
में करनेवाला नहीं, ना ही में जाननेवाला हूँ
सब पागलों की भीड़ का एक हिस्सा हूँ
या भीड़ से अलग एक पागल
विचारों के द्वन्द या सवालों के शूल शब्दों के तीर या आखों की धूल
मैं मैं नहीं हूँ
ना में सुखी हूँ ना ही दुखी हूँ
ना शून्य हूँ ना ही अशून्य
ना श्वता हूँ ना रक्त हूँ ना भगवान् हूँ ना ही शैतान हूँ
मैं आत्मा में उठा कोहराम हूँ
में दुनिया में हो रहा संग्राम हूँ
रेगिस्तान का हिरन हूँ जंगल का हठी हूँ
चिड़ियाघर का शेर हूँ या गली का कुत्ता
मैं गीदड़, चीता और सियार भी हूँ
मैं ही ब्रह्माण्ड हूँ में आत्मा और परमात्मा का निलय हूँ
में इंसांनी सोच का एक हैवान हूँ में धरती पर जन्मा एक प्राण हूँ।
आ स मा न दिखाई दे रहा है
दूर है
अनुशाशन की कमी है
रेगिस्तान में भाग रहा हूँ
धीरे हूँ
पसीना नहीं आ रहा
पागलपन खो रहा है
मेला लगा हुआ है
कुछ ना कुछ छूट रहा है
एक अधूरापन एक खालीपन
में कौन हूँ
क्या चाहता हूँ
इन्ही सवालों की जद्दोजहद में खोया हूँ
मैं एक ही जगह पर खड़ा होकर दौड़ रहा हुँ
यहाँ बिना खुशबू का गुलाब है
यहाँ बिना तेज की अग्नि है
शीतला ता रहित जल है
क्या में लालची हूँ या स्वार्थी या एक मोहरा
में करनेवाला नहीं, ना ही में जाननेवाला हूँ
सब पागलों की भीड़ का एक हिस्सा हूँ
या भीड़ से अलग एक पागल
विचारों के द्वन्द या सवालों के शूल शब्दों के तीर या आखों की धूल
मैं मैं नहीं हूँ
ना में सुखी हूँ ना ही दुखी हूँ
ना शून्य हूँ ना ही अशून्य
ना श्वता हूँ ना रक्त हूँ ना भगवान् हूँ ना ही शैतान हूँ
मैं आत्मा में उठा कोहराम हूँ
में दुनिया में हो रहा संग्राम हूँ
रेगिस्तान का हिरन हूँ जंगल का हठी हूँ
चिड़ियाघर का शेर हूँ या गली का कुत्ता
मैं गीदड़, चीता और सियार भी हूँ
मैं ही ब्रह्माण्ड हूँ में आत्मा और परमात्मा का निलय हूँ
में इंसांनी सोच का एक हैवान हूँ में धरती पर जन्मा एक प्राण हूँ।
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